Sunday Nov 11, 2018

श्रीमद् भगवद्गीता अध्याय १८ श्लोक ३ आणि ४ - स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती यांच्या विवरणा सहित

Following Shlokas are covered: 

त्याज्यं दोषवदित्येके कर्म प्राहुर्मनीषिणः। यज्ञदानतपःकर्म न त्याज्यमिति चापरे।।18.3।।

निश्चयं श्रृणु मे तत्र त्यागे भरतसत्तम। त्यागो हि पुरुषव्याघ्र त्रिविधः संप्रकीर्तितः।।18.4।।

 

 

 

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